Monday 11 June 2018

रुद्र गायत्री मंत्र

                                                                  रुद्र गायत्री मंत्र 

                                                ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि 

                                                           तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥ 

भगवान रुद्र अर्थात शिव साक्षात महाकाल हैं। सृष्टि के अंत का कार्य इन्हीं के हाथों है। उन्हें सृष्टि का संहारकर्ता माना जाता है। सभी देवताओं सहित तमाम दानव, मानव, किन्नर सब भगवान शिव की आराधना करते हैं। लेकिन मानसिक रुप से विचलित रहने वालों को मन की शांति के लिए रुद्र गायत्री मंत्र से भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। जिन जातकों की जन्म पत्रिका अर्थात कुंडली में कालसर्प, पितृदोष एवं राहु-केतु अथवा शनि का कोप है इस मंत्र के नियमित जाप एवं नित्य शिव की आराधना से सारे दोष दूर हो जाते हैं। इस मंत्र का कोई विशेष विधि-विधान भी नहीं है। इस मंत्र को किसी भी सोमवार से प्रारंभ किया जा सकता हैं। अगर उपासक सोमवार का व्रत करें तो श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। ध्यान रहे कोई भी आराधना तभी फलदायी होती है जब वो सच्चे मन से की जाती है।

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